Dollar vs Rupee: सबके लिए घाटे का सौदा नहीं होता गिरता रुपया, इन भारतीयों को हो रहा है मोटा फायदा!
Dollar vs Rupee: डॉलर ने यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप तक कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा को भी गहरा नुकसान पहुंचाया है। लेकिन भारतीय रुपये की गिरती कीमत कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।

डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Currency) इन दिनों सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। पिछले शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.99 पर बंद हुआ था।
हालांकि ऐसा नहीं है कि डॉलर के मुकाबले सिर्फ भारतीय मुद्रा कमजोर हुई है। डॉलर ने यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप तक कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा को भी गहरा नुकसान पहुंचाया है। लेकिन भारतीय रुपये की गिरती कीमत कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।
कैसे मिल रहा है फायदा?
मान लीजिए आपके घर का कोई व्यक्ति अमेरिका (USA ) में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है। चूंकि अमेरिका की (फ्री इंस्टाग्राम चलाना फ्री है (Currency) डॉलर है तो उसे भी इसी करेंसी में सैलरी मिलती है। इसके बाद वह आपको अपना वेतन भारत भेजता है। एक्सचेंज के बाद आपको डॉलर में भेजी गई राशि भारतीय रुपये में मिल जाती है। ऐसे में अगर आज के समय में रुपये की कीमत एक डॉलर के मुकाबले करीब 80 रुपये हो गई है तो डॉलर में आपको भेजी गई रकम भी उसी अनुपात में मिलेगी.
अगर किसी ने आपको 100 डॉलर भेजे हैं तो आज की भारतीय करेंसी में यह करीब 8000 रुपये का होगा। वहीं, अगर डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 70 रुपये होती तो आपको 7000 रुपये मिलते। यानी आपको 1000 रुपये से कम रकम मिलती। इस तरह रुपये की गिरती कीमत के बीच भी कई लोगों को तगड़ा फायदा मिल रहा है।
कितना आता है विदेशों से पैसा(Dollar vs Rupee 2022)
विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में विदेश से 83 अरब डॉलर से ज्यादा भारत भेजा गया था। वहीं, 2021 में भारत में 87 अरब डॉलर की राशि आई थी। विदेशों में काम करने वाले भारतीय देश में अपने परिवारों को भारी मात्रा में धन भेजते हैं। इससे देश के विदेशी मुद्रा कोष को फायदा होता है।
एक्सपोर्टरों के लिए भी फायदे का सौदा
जब भी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू गिरती है तो एक्सपोर्टर्स प्रॉफिट में बने रहते हैं। सॉफ्टवेयर कंपनियां और फार्मा कंपनियां इसका सबसे ज्यादा फायदा उठाती हैं। क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट मिलती है, जिसकी वैल्यू भारत आने से बढ़ जाती है। इस वजह से उन्हें रुपये में गिरावट का फायदा मिलता है।
हालांकि, कुछ निर्यातक उच्च मुद्रास्फीति दर के कारण इसका लाभ उठाने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनके उत्पाद की लागत बढ़ जाती है। पेट्रोलियम उत्पाद, ऑटोमोबाइल, मशीनरी सामान बनाने वाली कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
भारत अधिक इंपोर्ट करने वाला देश
भारत निर्यात की तुलना में अधिक आयात करने वाला देश है। यानी कई ऐसी चीजें हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर हैं। पेट्रोलियम उत्पादों के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान भी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। इस वजह से अब हमें आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट(Dollar vs Rupee 2022)
रिजर्व बैंक के मुताबिक कई अंतरराष्ट्रीय कारणों से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आई है। देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा। आरबीआई ने रुपये को संभालने के लिए खुले बाजार में डॉलर भी बेचे हैं, लेकिन इसका असर अभी दिखाई नहीं दे रहा है।